
Photo source: The Times of India
— यदि आप हमसे पूछें तो रसखान जैसा कवि हिन्दी साहित्य में दूसरा कोई नहीं है । – कहकर उसने अपनी गर्दन को कबूतर के जैसे एक ओर घुमाया और सडक पर थूका, फिर अपने विचारों का सारांश बताया –
— लोगों को तो सूर, तुलसी, कबीर और आजकल निराला, दिनकर से आगे कुछ दिखता ही नहीं है । वरना रसखान को तो समझो बस रस की खान । – कहकर उसने फिर से थूका । Continue reading