रचनाकार – हेमा जोशी

photo credit: hehaden Faded glory, fading light via photopin (license)
ख्वाइशें कुछ ऐसी
ख्वाइशें कुछ ऐसी, नन्हे जुगनू जैसी
अंधेरे में उस उजाले की तरह, जिसे उंगलियाँ छूना चाहती हैं
हैं अनगिनत तारों की तरह,
जिन्हें मैं हर रात निहारती हूँ, बातें करती हूँ
और छू लेना चाहती हूँ
हैं प्यारी, अनगिनत ओस की बूंदों की तरह
ये ख्वाइशें कुछ ऐसी,
जो उड़ जाना चाहती हैं पंख लगाकर
सरहदों से बहुत दूर
नफ़रतों से बहुत दूर
उड़ जाना चाहती हैं मीलों दूर
खुशबू लेने मिट्टी की,
फूलों की, पत्तों की, हरी घास की
उस परिंदे की तरह जो बस उड़ते ही जाए
निकला हो जैसे दुनिया की खोज पर ।
अंधेरे में उस उजाले की तरह, जिसे उंगलियाँ छूना चाहती हैं
हैं अनगिनत तारों की तरह,
जिन्हें मैं हर रात निहारती हूँ, बातें करती हूँ
और छू लेना चाहती हूँ
हैं प्यारी, अनगिनत ओस की बूंदों की तरह
ये ख्वाइशें कुछ ऐसी,
जो उड़ जाना चाहती हैं पंख लगाकर
सरहदों से बहुत दूर
नफ़रतों से बहुत दूर
उड़ जाना चाहती हैं मीलों दूर
खुशबू लेने मिट्टी की,
फूलों की, पत्तों की, हरी घास की
उस परिंदे की तरह जो बस उड़ते ही जाए
निकला हो जैसे दुनिया की खोज पर ।
ख्वाइशें कुछ ऐसी जो,
इतराना चाहती हैं प्यारी तितलियों की तरह
जीना चाहती हैं जिंदगी हर दम
नन्हें बच्चों की तरह,
जो गिरकर भी उठने का हौसला रखते हैं ।
एक योद्धा की तरह, हिम्मत रखती हैं
उस योद्धा की तरह जो जंग में सबसे आगे खड़ा हो ।
ख्वाइशें कुछ ऐसी, कि बस जीत जाना चाहती हैं
ख्वाइशें कुछ ऐसी, कि एक प्यारा-सा घर बनाना चाहती हैं
जिसकी हर ईंट बस प्यार और विश्वास से बनी हो
और छत, आसमान में चमकते तारों सी
नफ़रतो से कहीं बहुत दूर
प्रकृति की गोद में कहीं, किसी झील के किनारे,
ख्वाइशें कुछ ऐसी, कि बस जी लेना चाहती हैं जिंदगी को
ख्वाइशें कुछ ऐसी कि बस पंख लगाकर उड़ जाना चाहती हैं
नफ़रतों से बहुत दूर
सरहदों से बहुत दूर ।
इतराना चाहती हैं प्यारी तितलियों की तरह
जीना चाहती हैं जिंदगी हर दम
नन्हें बच्चों की तरह,
जो गिरकर भी उठने का हौसला रखते हैं ।
एक योद्धा की तरह, हिम्मत रखती हैं
उस योद्धा की तरह जो जंग में सबसे आगे खड़ा हो ।
ख्वाइशें कुछ ऐसी, कि बस जीत जाना चाहती हैं
ख्वाइशें कुछ ऐसी, कि एक प्यारा-सा घर बनाना चाहती हैं
जिसकी हर ईंट बस प्यार और विश्वास से बनी हो
और छत, आसमान में चमकते तारों सी
नफ़रतो से कहीं बहुत दूर
प्रकृति की गोद में कहीं, किसी झील के किनारे,
ख्वाइशें कुछ ऐसी, कि बस जी लेना चाहती हैं जिंदगी को
ख्वाइशें कुछ ऐसी कि बस पंख लगाकर उड़ जाना चाहती हैं
नफ़रतों से बहुत दूर
सरहदों से बहुत दूर ।
डॉo हेमा जोशी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IIT Kanpur) के सिविल इंजीनियरिंग प्रभाग में Post Doctoral Fellow के पद पर कार्यरत हैं ।
It’s so beautifully penned. Reminds me of hazaro khwaishe aesi ..
LikeLiked by 2 people
Beautiful
LikeLiked by 1 person
This is beautiful.
LikeLiked by 1 person
Nice post
LikeLiked by 1 person