आज के अहंकार-केन्द्रित समाज में जहाँ सभी लोग सदैव आत्मश्लाघा में ही रत रहते हैं, ऐसे दृष्टान्त अत्यन्त विरल हैं जहाँ एक महानायक ने अपने समकालीन एक अन्य महारथी का जयगान किया हो । फिर भी यदि अतीत में झाँकें तो एेसे कई दृष्टान्त हमें मिल ही जाते हैं, जैसे श्रीरामकृष्ण और विद्यासागर, हाइजनबर्ग और रवीन्द्रनाथ का साक्षात्कार, इत्यादि । ऐसे स्तुतिगान न केवल उस महापुरुष की महिमा के लिए उचित श्रद्धांजलि होते हैं, अपितु उन गायक महापुरुष की विनम्रता को भी परिलक्षित करते हैं । इतिहास के पृष्ठों में यत्र-तत्र बिखरे ऐसे स्तुति गान हमारी सांस्कृतिक धरोहर के रत्न-स्वरूप हैं । उस भण्डार से एक रत्न राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (28 फरवरी) के अवसर पर आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
“आज 23 अक्टूबर है; कल सन्ध्या के समय पेरिस से विदाई है । यह पेरिस इस वर्ष सभ्यजगत में एक केन्द्र है, इस वर्ष महाप्रदर्शनी है । विभिन्न देश-दिगन्त से सज्जनों का समागम हुआ है । देश-देशान्तर के मनीषिगण अपनी अपनी प्रतिभाप्रकाश से आज इस पेरिस में स्वदेश की महिमा का विस्तार कर रहे हैं । इस महाकेन्द्र की भेरीध्वनि आज जिनका नाम उच्चारण करेगी, उसका नाद-तरंग साथ साथ उनके स्वदेश को सर्वजनसमक्ष गौरवान्वित करेगा । और मेरी जन्मभूमि — इस जर्मन, फ्रांसीसी, अंग्रेज, इताली इत्यादि बुधमण्डली-मण्डित महा राजधानी में तुम कहाँ हो, हे बंगभूमि ? तुम्हारा नाम लेने वाला कौन है ? तुम्हारे अस्तित्व की घोषणा करने वाला कौन है ? उस बहु गौरवर्ण प्रतिभामण्डली के मध्य एक युवा यशस्वी वीर ने बंगभूमि के — हमारी मातृभूमि के नाम की घोषणा की, वह वीर था जगत्प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉक्टर जे. सी. बोस ! उस अकेले युवा बंगाली विद्युत आवेश ने विद्युत-वेग से पाश्चात्य मण्डली को अपनी प्रतिभा की महिमा से मुग्ध किया – उस विद्युत-संचार ने, मातृभूमि के मृतप्राय शरीर में नवजीवन-तरंग का संचार किया ! आज समग्र वैद्युतिक मण्डली के शीर्षस्थानीय हैं जगदीश बसु – भारतवासी, बंगवासी, धन्य हो वीर ! बसु और उनकी सती साध्वी सर्वगुणसम्पन्ना गेहिनी (पत्नी) जिस देश में भी जाते हैं, वहाँ ही भारत का मुख उज्जवल करते हैं — बंगाली का गौरव वर्धन करते हैं । धन्य दम्पति !”
— स्वामी विवेकानन्द
टिप्पणी – मूल बंगाली से अनुवादित । इसका प्रामाणिक अंग्रेजी अनुवाद Complete Works of Swami Vivekananda – Volume 7 में संकलित है ।
Photo source –
Sir Jagadish Chandra Bose: http://www.indiaeducation.net
Swami Vivekananda: www.vedanta.com