रचनाकार – हेमा जोशी

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ख्वाइशें कुछ ऐसी
ख्वाइशें कुछ ऐसी, नन्हे जुगनू जैसी
अंधेरे में उस उजाले की तरह, जिसे उंगलियाँ छूना चाहती हैं
हैं अनगिनत तारों की तरह,
जिन्हें मैं हर रात निहारती हूँ, बातें करती हूँ
और छू लेना चाहती हूँ
हैं प्यारी, अनगिनत ओस की बूंदों की तरह
ये ख्वाइशें कुछ ऐसी,
जो उड़ जाना चाहती हैं पंख लगाकर Continue reading
अंधेरे में उस उजाले की तरह, जिसे उंगलियाँ छूना चाहती हैं
हैं अनगिनत तारों की तरह,
जिन्हें मैं हर रात निहारती हूँ, बातें करती हूँ
और छू लेना चाहती हूँ
हैं प्यारी, अनगिनत ओस की बूंदों की तरह
ये ख्वाइशें कुछ ऐसी,
जो उड़ जाना चाहती हैं पंख लगाकर Continue reading