
मुझे याद है दूरदर्शन पर दिखाया गया वह नाटक। जी नहीं, सीरियल नहीं, नाटक। पूर्ण कथानक तो ठीक से याद नहीं, किन्तु कुछ अंशों की धुंधली-सी स्मृति आज भी है।
एक गाँव में एक बुढिया रहती थी। काफी मिलनसार और व्यवहार कुशल। गाँव के सभी तीज-त्यौहार, समारोह, अनुष्ठानों में बढ-चढकर भाग लेती थी। चूँकि वह सबसे वरिष्ठा थी, इसीलिए उसी के सुझाव और संकेत सर्वोपरि माने जाते थे। इस पर उसे गर्व था। Continue reading